₹30 लाख होम लोन की EMI 2 साल में ₹4600 तक बढ़ी, समझिये बढ़ती ब्याज दरें कैसे खा रही आपकी गाढ़ी कमाई
Home Loan EMI Calculation: एक्सपर्ट मानते हैं कि ब्याज दरों के चलते आए रिपेमेंट असंतुलन को ठीक करने के लिए अगले बजट में या उससे भी पहले एक फोकस्ड पॉलिसी हस्तक्षेप की जरूरत है. अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट को बचाए और बनाए रखने के लिए यह जरूरी है.
Affordable Housing sales
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Home Loan EMI Calculation: होम लोन पर आपने मकान या फ्लैट लिया है, तो आपको यह जरूर मालूम होगा कि बीते 2 साल से ब्याज दरें करीब-करीब 2 फीसदी या इससे ज्यादा बढ़ चुकी हैं. इसका मतलब कि आपकी EMI भी बढ़ी है. महंगे होते कर्ज का दूरगामी असर यह होगा कि अगर आपने 20 साल के लिए लोन लिया है, तो अब आपको मूल धन से ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा. रीयल एस्टेट रिसर्च फर्म एनारॉक की हाल में आई रिपोर्ट यह बताती है कि महंगे होम लोन का असर अफोर्डेबल हाउस की बिक्री पर देखा जा रहा है. इस सेगमेंट में 2023 की पहली छमाही में करीब 11 फीसदी (YoY) की गिरावट इसमें आई है. अफोर्डेबल हाउस खरीदने वाले नए होम बॉयर्स के लिए लगातार महंगा होता कर्ज और परेशान कर रहा है.
₹30 लाख लोन पर समझिये कैलकुलेशन
मान लीजिए, आपने साल 2021 में फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर 20 साल के लिए 30 लाख रुपये तक का होम लोन लिया है. बीते 2 साल में दौरान रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी (मौजूदा समय तक) कर दिया. इस तरह रेपो रेट 2.50 फीसदी (250 bps) बढ़ा. इसी अवधि में 30 लाख तक के होम लोन की ब्याज दरें 6.7 फीसदी से बढ़कर 9.15 फीसदी हो गईं. अब कर्ज की बढ़ती ब्याज दरों का असर होम लोन की ईएमआई (Home Loan EMI) पर समझिये. होम बॉयर जुलाई 2021 में जहां 22,700 रुपये की किस्त चुका रहे थे. वहीं, EMI बढ़कर अब 27,300 रुपये हो गई है. इस तरह करीब 4,600 रुपये यानी 20 फीसदी EMI का बोझ बॉयर्स पर बढ़ गया.
मूलधन से ज्यादा देना होगा ब्याज
एनारॉक ग्रुप के रिजनल डायरेक्ट एंड हेड (रिसर्च) प्रशांत ठाकुर कहते हैं, अफोर्डेबल होम बॉयर्स के लिए EMIs पर खर्च बीते 2 साल में 20 फीसदी बढ़ा है. फ्लोटिंग दरों पर 30 लाख तक होम लोन की ब्याज दरें मिड 2021 के 6.7 फसीदी से बढ़कर आज करीब 9.15 फीसदी हो गई हैं. इसका असर आपके होम लोन रिपेमेंट पर होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि महंगे कर्ज से अब आपको पूरी लोन अवधि में 11 लाख रुपये ज्यादा ब्याज का भुगतान करना होगा. यानी, लोन की पूरी अवधि (20 साल) में बॉयर होम लोन पर मूल धन (प्रिंसिपल अमाउंट) से ज्यादा ब्याज का भुगतान करेगा.
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उनका कहना है, मिड 2021 में होम लोन की ब्याज दरें 6.7 फीसदी थीं, तो 20 साल में आपके लोन पर कुल रिपेमेंट 54.5 लाख रुपये होता. इसमें ब्याज का भुगतान करीब 24.5 लाख रुपये करना होता. लेकिन, अब जब शुरुआती ब्याज दरें 9.15 फीसदी है, आपका कुल रिपेमेंट अमाउंट 65.5 लाख रुपये होगा, जिसमें ब्याज की रकम 35.5 लाख रुपये होगी. इसका मतलब कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद अब अफोर्डेबल होम बॉयर्स को प्रिंसिपल अमाउंट से ज्यादा ब्याज का भुगतान करना होगा.
अफोर्डेबल हाउसिंंग सेल्स पर हो रहा असर
एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की पहली छमाही (H1 2023) में अफोर्डेबल हाउसिंग की सेल्स सिमटकर 20 फीसदी पर आ गई है. 2022 की पहली छमाही के मुकाबले 11 फीसदी की गिरावट है. इसी तरह, टॉप 7 शहरों का डाटा देखें, तो इस सेगमेंट में H1 2023 के दौरान ओवरआल हाउसिंग सप्लाई घटकर 18 फीसदी पर आ गई, जो कि H1 2022 में 23 फीसदी थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की पहली छमाही में टॉप 7 शहरों में कुल 2.29 लाख यूनिट मकानों की ब्रिकी हुई है, जिसमें केवल 46,650 यूनिट्स अफोर्डेबल थे. जबकि 2022 की पहली छमाही में 1.84 लाख यूनिट्स की सेल्स हुई थी और 57,060 यानी 31 फीसदी यूनिट्स अफोर्डेबल हाउसिंग वाले थे.
महंगा कर्ज कैसे खा रहा आपकी कमाई
प्रशांत ठाकुर कहते हैं, दरअसल होम लोन का स्ट्रक्चर ऐसा होता हे कि शुरुआती वर्षों में रिपेमेंट ज्यादातर ब्याज पर होता है. जब होम बॉयर्स का ज्यादा रिपेमेंट मूलधन के बजाय ब्याज में जा रहा है, तो घर खरीदारों को इक्विटी बनाने और एक से ज्यादा मकान का मालिक बनने में अधिक समय लगेगा. इसका मतलब यह भी है कि अगर वे एसेट (घर/फ्लैट) बेचते हैं तो उनके पास मकान की कीमत में हुए इजाफा से मुनाफा कमाने का अवसर कम हो जाता है, क्योंकि उन्होंने कम प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट किया है.
सरकार को करना होगा नीतिगत फैसला
उनका कहना है, अगर होम लोन पर ब्याज मूलधन से ज्यादा है, तो यह इंडिविजुअल बॉरोअर्स या मैक्रो हाउसिंग मार्केट के लिए अच्छा संकेत नहीं है. इस असंतुलन को दुरुस्त करने के लिए अगले बजट में या उससे भी पहले एक फोकस्ड पॉलिसी हस्तक्षेप की जरूरत है. अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट को बचाए और बनाए रखने के लिए यह जरूरी है.
उनका कहना है, सरकार को अपने 'हाउसिंग फार ऑल' के अपने विजन को पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा खरीदारों तक अफोर्डेबल हाउसिंग की पहुंच बनानी चाहिए. यह इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि इसी सेगमेंट की देश में सबसे ज्यादा डिमांड है. मौजूदा समय में करीब 1.12 करोड़ यूनिट की कमी अर्बन हाउसिंग में है. अफोर्डेबल हाउसिंग (जिनकी कीमत 40 लाख रुपये से कम) की कमी 80% से ज्यादा है.
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01:03 PM IST